श्री कष्टभंजन देव सुन्दरकाण्ड सत्संग मंडल ट्रस्ट
वावोल, गांधीनगर , गुजरात (भारत)
(Reg. No. A/1052/Gandhinagar, PAN No. - ABLTS6490A, DARPAN ID - GJ/2025/0613597 )
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महर्षि ऋषि वाल्मीकि जी ने वाल्मीकि रामायण में भी कहा हे की;
"सुन्दरे सुन्दरो रामः सुन्दरे सुन्दरी कथा, सुन्दरे सुन्दरी सीता सुन्दरे सुन्दरं वनम्"।
"सुन्दरे सुन्दरं काव्यं सुन्दरे सुन्दरः कपिः,सुन्दरे सुन्दरं मन्त्रं सुन्दरे किं न सुन्दरम्"॥
जिस सुन्दरकाण्ड के विषयमें ऐसा कहा गया है कि सुन्दरकाण्ड में सब से सुन्दर भगवान श्रीराम और श्रीसीता माता - जगदम्बा है, भगवान का जो वन में विचरण हो रहा है वो भी सब से सुन्दर वन हे और उसकी सब से अलग सब से सुन्दर और दिव्य कथा सुन्दर-कपिश्री हनुमानजी महाराज- उनके द्वारा माता सीताजी की खोज हो रही हैं । उसकी कथा जिस काव्यात्मक ढंग से प्रस्तुत किया गया है वो काव्य, और हर एक चौपाई भी इतनी सुन्दर हे, और हनुमानजी के चरित्र द्वारा प्राप्त होने वाला प्रत्येक मन्त्र ये सबकुछ सुन्दर हैं। सुन्दरकाण्ड में इसलिए कहा गया है –सुन्दरे किं न सुन्दरम् । सुन्दरकाण्ड में क्या सुन्दर नहीं है ?
गोस्वामी श्री तुलसीदासजी द्वारा रचित श्री रामचरितमानस की कथा सुन्दरकाण्ड का पाठ हो तो उसके द्वारा हनुमानजी आदि दिव्य पात्रों के द्वारा प्रेरित होकर हम अपने आचरण को सुन्दर बनाये और श्रीराम के प्रति अनुराग तथा भगवान में प्रेम-भक्ति ये ही सुगन्धहै और ऐसा सुगन्धपूर्ण सुन्दर जीवन हो । सुन्दरी सीता और सुन्दर रामको हम सुन्दर ढंग से समर्पित करे । जो सुन्दर में सुन्दर ऐसे कपि श्री हनुमानजी की कृपा निरन्तर हम पर बनी रहें ।
संत शिरोमणि श्री तुलसीदास जी द्वारा रचित रामायण के सात कांड मे से पांचवा अध्याय सुन्दरकाण्ड हे, कहा जाता हे की, हनुमानजी को जल्द प्रसन्न करने के लिए सुंदरकांड का पाठ किया जाता है और इस पाठ को करने वाले व्यक्ति के जीवन में खुशियों का संचार होने लगता है.
हिंदू शास्त्रों के अनुसार हमारे हनुमानजी चिरंजीवी हे और आज भी यह भू-लोक में ही जीवित हे, हनुमानजी का इस कलियुग में जीवित रहनेका एक कारण यह भी हे की कलियुगी प्रभाव बढ़ने लगे, जब इन्सानो का ह्रदय आर्तनाद करने लगे तब हनुमानजी को याद करने से पवनपुत्र अनिष्टों का संघार हेतु अवश्य आएंगे। और यह मिथ्य नहीं है, हनुमानजी ही हे जो डट कर खड़े हो जाते हे आपत्ति के सामने और हमें आंच नहीं आने देते। जब ये लाइन लिखी जा रहे हे तब भी, सिर्फ हनुमानजी के नाम मात्र से हमारे रोंगटे खड़े हो जा रहे हे, और ये प्रभाव हे हनुमान जी का।
सुन्दरकाण्ड की एक-एक चौपाई में इतना दम हे की वो जीवन की हर एक आधी व्याधि उपाधि हर एक आपत्ति -विपत्ति दुःख दर्द का विनाश करने की क्षमता हे, बस एक श्रद्धा होनी चाहिए। और इसीलिए ही तो उसे जड़ीबूटी कहा गया हे। जरा सोचिये की कलियुग में भी और जब वैज्ञानिक तौर से कोई भी प्रूफ न होने के बावजूद भी इतने सारे लोग क्यों सुन्दरकाण्ड में रूचि रखते होंगे।
सुन्दरकाण्ड का प्रभाव हमने देखा हे, अनुभव भी किया हे, और हम लोग यकीन के साथ कहते हे की आपके जीवन से निगेटिव्स को हटाने के लिए धैर्य और श्रद्धा से सुन्दरकाण्ड का पाठ कीजिये, हमारे हनुमानजी आपकी सभी आपत्तियों को दूर करेंगे। समय लग सकता हे, किन्तु परिणाम निश्चित हे।
(1) इस कांड को क्यों बोला गया सुंदरकांड?
हनुमानजी, सीताजी की खोज में लंका गए थे और लंका त्रिकुटाचल पर्वत पर बसी हुई थी. त्रिकुटाचल पर्वत यानी यहां तीन पर्वत थे पहला सुबैल पर्वत, जहां के मैदान में युद्ध हुआ था। दूसरा नील पर्वत, जहां राक्षसों के महल बसे हुए थे और तीसरे पर्वत का नाम है सुंदर पर्वत, जहां अशोक वाटिका थी। इसी वाटिका में हनुमानजी और सीताजी की भेंट हुई थी। इस कांड की यही सबसे प्रमुख घटना थी इसलिए इसका नाम सुंदरकांड रखा गया है.
(२) शुभ अवसरों पर भी सुंदरकांड किया जाता हे ?
शुभ अवसरों पर गोस्वामी तुलसीदासजी द्वारा रचित श्रीरामचरितमानस के सुंदरकांड का पाठ किया जाता है। शुभ कार्यों की शुरुआत से पहले सुंदरकांड का पाठ करने का विशेष महत्व माना गया है। किसी व्यक्ति के जीवन में ज्यादा परेशानियां हो, कोई काम नहीं बन पा रहा हो या फिर आत्मविश्वास की कमी हो या कोई और समस्या हो, सुंदरकांड के पाठ से शुभ फल प्राप्त होने लग जाते हैं, कई ज्योतिषी या संत भी विपरित परिस्थितियों में सुंदरकांड करने की सलाह देते हैं.
(३) सुंदरकांड का पाठ विशेष रूप से क्यों किया जाता हैं?
माना जाता है कि सुंदरकांड के पाठ से हनुमानजी प्रसन्न होते हैं। सुंदरकांड के पाठ में बजरंगबली की कृपा बहुत ही जल्द प्राप्त हो जाती है। जो लोग नियमित रूप से सुंदरकांड का पाठ करते हैं, उनके सभी दुख दूर हो जाते हैं। इसमें हनुमानजी ने अपनी बुद्धि और बल से सीता की खोज की है। इसी वजह से सुंदरकांड को हनुमानजी की सफलता के लिए याद किया जाता है।
(४) सुंदरकांड से मिलता है मानसिक लाभ?
वास्तव में श्रीरामचरितमानस के सुंदरकांड की कथा सबसे अलग हैं। संपूर्ण श्रीरामचरितमानस भगवान श्रीराम के गुणों और उनके पुरुषार्थ को दर्शाती हैं. सुंदरकांड एकमात्र ऐसा अध्याय है जो श्रीराम के भक्त हनुमान की विजय का है। मनोवैज्ञानिक नजरिए से देखा जाए तो यह आत्मविश्वास और इच्छाशक्ति बढ़ाने वाला कांड हैं। सुंदरकांड के पाठ से व्यक्ति को मानसिक शक्ति प्राप्त होती हैं, किसी भी कार्य को पूर्ण करने के लिए आत्मविश्वास मिलता है।
(५) सुंदरकांड से मिलता है धार्मिक लाभ?
सुंदरकांड से मिलता है धार्मिक लाभ, हनुमानजी की पूजा सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाली मानी गई है। बजरंगबली बहुत जल्दी प्रसन्न होने वाले देवता हैं, शास्त्रों में इनकी कृपा पाने के कई उपाय बताए गए हैं. इन्हीं उपायों में से एक उपाय सुंदरकांड का पाठ करना है।
आवश्यक सुचना (डिस्क्लेमर): उपर्युक्त हमारा अनुभव और हमारी मान्यता हे, आपका अनुभव, आपकी श्रद्धा पर आधारित हे और वो अलग या विपरीत भी हो सकता हे। इसीलिए आपकी मर्जी हे, हम लोग हमेशा से ही व्यर्थ चर्चा से अपने आपको दूर रखना चाहेंगे। धन्यवाद !